देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार 3 तीन दिन से अन्नोत्सव मना रही है। हालांकि इसमें उत्सव जैसी कोई चीज नहीं थी। क्योंकि इसमें कंट्रोल की दुकानों से पात्र हितग्राहियों को हमेशा की तरह राशन सामग्री बांटी जानी थी। लेकिन सरकार ने उत्सव का नाम देकर इवेंट का रूप दिया और मीडिया को लाखों रुपये के विज्ञापन देकर उपकृत भी किया लेकिन ग्वालियर में यह उत्सव मजाक बनकर रह गया । क्योंकि 3 दिन बीतने के बाद किसी भी हितग्राही को गेहूं का एक दाना नहीं मिल सका। मिलता भी कैसे, जब कंट्रोल तक ही गेहूं नहीं पहुंच सका।
बुधवार से शुरू हुआ था अन्नोत्सव
यह राज्य स्तरीय अन्नोत्सव तीन दिन पहले 7 सितंबर यानी बुधवार से शुरू हुआ था। पहले ही दिन जब हितग्राही अपनी उचित मूल्य की दुकान पर राशन का सामान लेने पहुंचे तो वहां सबसे जरूरी अन्न गेंहू उपलब्ध ही नहीं था। कई हितग्राहियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उसी दिन इसकी शिकायत खाद्य अधिकारियों से की। उन्होंने बतया कि कंट्रोल डीलर गेहूं नहीं दे रहा जबकि परिवार को सबसे ज्यादा जरूरत गेहूं की ही है। कंट्रोल की दुकानों पर गेहूं मांगने पर चावल दिए जा रहे हैं। अधिकारी तब किसी को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे थे लेकिन जब इसका पता किया तो यह प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और समन्वय का नतीजा निकला।
अधिकारियों की लापरवाही ने बनाया उत्सव को मजाक
दरअसल यह अभियान को गंभीरता से न लेने और लापरवाही का नतीजा है। अन्न उत्सव शुरू हो रहा है इसके पहले खाद्य विभाग के अधिकारियों ने संबंधित विभागों के साथ बातचीत कर समन्वय बनाने को लेकर गंभीरता ही नहीं दिखाई, जिसका नतीजा यह निकला की राज्य आपूर्ति निगम (नान ) ने समय पर गेहूं कंट्रोल की दुकानों पर भिजवाया ही नहीं। जब दुकानों पर गेहूं पहुंचा ही नहीं तो लोगों को दुकानों से चावल और बाजरा दिया जा रहा है जिसको लेकर हितग्राही वहां लड़ाई-झगड़ा कर रहे हैं। कई जगहों पर तो बात विवाद के साथ हाथापाई तक की नौबत आ रही है।
एक- दूसरे पर टाल रहे अफसर
मामला उजागर होने के 2 दिन बाद भी गेहूं न तो दुकानों पर पहुंचा और न आज शाम तक पहुंचने की उम्मीद है। आज अन्नोत्सव समाप्त हो जाएगा। इस लापरवाही के लिए अफसर एक दूसरे पर टाल रहे हैं। खाद्य विभाग के सहायक आपूर्ति अधिकारी आर एस धाकरे ने कहा कि अन्नोत्सव की जानकारी सही समय पर नान के अधिकारियों को दी थी और उत्सव शुरू होने से पहले सभी सामान कंट्रोल की दुकानों तक पहुंचाने को कहा था। लेकिन नान ने गेहूं,कंट्रोल की दुकानों पर नहीं भेजा इससे दिक्कत आ रही है। शिकायतें मिलने के बाद हमने फिर से नान के अधिकारियों से बात की है और वे गेहूं पहुंचाने की बात कर रहे हैं।
जल्द दुकानों में पहुंचेगा गेहूं
नान के मैनेजर संजय सक्सेना का कहना है कि किसी कारणों से गेहूं कंट्रोल की दुकानों तक नहीं पहुंच पाया था लेकिन अब उन कारणों को दूर कर लिया गया है इसलिए दो-तीन दिनों में गेहूं दुकानों पर पहुंच जाएगा।
ये है मुख्य वजह
जब इसके कारणों की पड़ताल की गयी तो पता चला कि यह गड़बड़ी नान के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच चल रहे विवाद का नतीजा है। बताया गया कि नान ने कंट्रोल की दुकानों से दिए जाने वाले सामान गेहूं,शक्कर और नमक आदि को अलग-अलग गोदामों में रखवा दिया है जो काफी दूर-दूर हैं। इसके चलते ट्रांसपोर्टर्स ठेकेदारों ने इसका परिवहन यह कहते हुए इंकार कर दिया कि इससे उन्हें लाखों रुपये का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। यह अंतर लगभग डेढ़ से दो लाख रुपये महीने पड़ रहा है। चार जगह से सामान उठाने में समय भी ज्यादा लगता है और मैन पॉवर भी ज्यादा लगती है। उनका कहना है कि गेहूं को उदयपुर गोदाम से बरौआ गोदाम पहुंचाया जाए ताकि सप्लाई व्यवस्थित हो सके।